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भगवान शिव मंत्र
भोलेनाथ आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं ,उनके आशिर्वाद पाने के लिए शिव मंत्र का जाप करे ।
ॐ शिवाय नम:
ॐ इन्द्रमुखाय नम:
ॐ त्रिनेत्राय नम:
ॐ सर्वात्मने नम:
ॐ तत्पुरुषाय नम:
ॐ श्रीकंठाय नम:
ॐ वामदेवाय नम:
ॐ ईशानाय नम:
ॐ ज्ञानभूताय नम:
ॐ अनंतधर्माय नम:
ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नम:
ॐ युक्तकेशात्मरूपाय नम:
ॐ व्योमात्मने नम:
ॐ प्रधानाय नम:
ॐ हराय नम:
रूद्र गायत्री मंत्र
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
महा काली मंत्र
”ॐ श्री महा कलिकायै नमः”
”ॐ क्रीं काली”
”ॐ क्रीं कालिकायै नमः”
”ॐ कलिं कालिका-य़ेइ नमः”
”ॐ हरिं श्रीं कलिं अद्य कालिका परम् एष्वरी स्वा:”
शरद नवरात्रि 2022 । नवरात्रि
हिंदू धर्म में नवरात्रि का त्योहार धूमधाम के साथ मनाया जाता है। पूरे साल में कुल चार नवरात्रि आते हैं। इस साल शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर 2022 सोमवार से प्रारंभ हैं। , सोमवार से होगी. नवरात्रि का समापन 5 अक्टूबर 2022 को होगा. नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों प्रथम मां शैलपुत्री, द्वितीय मां ब्रह्मचारिणी, चतुर्थ मां चंद्रघंटा, पंचम स्कंद माता, षष्टम मां कात्यायनी, सप्तम मां कालरात्रि, अष्टम मां महागौरी, नवम मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।
बाबा बैद्यनाथ धाम(Baidyanath Dham) ज्योतिर्लिंग एक सिद्धपीठ है।
बाबा बैद्यनाथ धाम(Baidyanath Dham) यह ज्योतिर्लिंग एक सिद्धपीठ है। कहा जाता है कि यहां पर आने वाले हर भक्ति कामना पूरी हो जाती है, इसी कारण इस शिव लिंग को कामना लिंग भी कहा जाता है। पुराणों के अनुसार सावन महीने को भगवान शिव के आराधना का सबसे उपयुक्त समय बताया गया है। इस पावन सावन महीने में लाखों श्रद्धालु सुल्तानगंज बिहार से जल भरकर कावर के जरिए बाबा बैद्यनाथ धाम देवघर झारखंड में बाबा का जलाभिषेक करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करते हैं।
हिंदू धर्म में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है
सावन माह में लाखों श्रद्धालु गंगा नदी सुलतानगंज से जल भरकर शिव मंदिर पहुंचते हैं कांवड़ यात्रा पर निकलने वाले शिव भक्तों को कांवड़िया कहा जाता है. कांवड़िया सुलतानगंज से पैदल यात्रा कर बाबा बैद्यनाथ को जल अर्पित करते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार सबसे पहले भगवान श्रीराम ने सुल्तानगंज से जल भरकर देवघर तक की यात्रा की थी. इसके बाद से ही यहां से देवघर गंगा जल ले जाने के परंपरा की शुरुआत हुई.
हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2079
पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नववर्ष शुरू होता है, हिंदू नववर्ष यानी विक्रम संवत 2079 की शुरुआत शनिवार, 2 अप्रैल 2022 से होने जा रही है.
हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2079 की हार्दिक शुभकामनाएं।
Happy Holi
हमेश मीठी रहे आपकी बोली खुशियों से भर जाए आपकी झोली आप सब को मेरी तरफ से होली की शुभकामनाएं!!
Baba Baidyanath Dham
Baidyanath dham is dedicated to Lord Shiva. Baidyanath dham is located on Deoghar, Jharkhand.
Baba Basukinath Dham
Basukinath temple is dedicated to Lord Shiva. Naulakha is located on Dumka District of Jharkhand . Baidyanath Dham to Basukinath temple distance is approx 43 km
Naulakha Mandir
Naulakha temple is dedicated to Goddess Radha and Lord Krishna. Naulakha is located on Karnibad, Deoghar, Jharkhand. Baidyanath Dham to Naulakha mandir distance is approx 2 km
Nandan Pahar
Nandan Pahar is dedicated to Lord Shiva and Park. Nandan Pahar is located on Deoghar District of Jharkhand . Baidyanath Dham to Nandan Pahar distance is approx 4.5 km
Satsang Ashram
Satsang Ashram is dedicated to Thakur Anukulchandra. Satsang Ashram is is located on Deoghar District of Jharkhand . Baidyanath Dham to Satsang Ashram distance is approx 4 km
Trikut Parvat
Trikut Pahar is is a Hindu pilgrimage. Trikut Pahar is is located on Deoghar District of Jharkhand . Baidyanath Dham to Trikut Parvat distance is approx 16 km and it is famous for Ropeway,A rope way is a tourist attraction and can be used to reach the top of the hill
Rikhiapeeth Ashram
Rikhiapeeth Ashram is the tapobhumi of the great spiritual luminary and exponent of Yoga. Rikhiapeeth is located on Deoghar District of Jharkhand . Baidyanath Dham to Ashram distance is approx 12 km.
Tapovan pahar
Tapovan Pahar is dedicated to boast Tapo Nath Mahadev, a temple of Lord Shiva. Another attraction here is a cracked rock. Tapovan is located on Deoghar District of Jharkhand . Baidyanath Dham to Tapovan distance is approx 10 km
हिंदू नववर्ष
मान्यता है कि इस दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की संरचना प्रारम्भ की थी। चैत्र मास ही नववर्ष मनाने के लिए सर्वोत्तम है क्योंकि चैत्र मास में चारो ओर पुष्प खिलते हैं,वृक्षों पर नए पत्ते आ जाते है चारो ओर हरियाली मानो प्रकृति ही नव वर्ष मना रही हो।
इसे गुड़ी पाड़वा के तौर पर मनाया जाता है, साथ ही इसी दिन से चैत्र नवरात्रि भी शुरू होती हैं.